वो कहती है बड़ी शोखियों से
की उसे मुझसे प्यार नहीं है
मै पूंछता हूँ जो उससे तकती हो
हर रोज किसकी राह खिडकी पर
तो अदाओं से कहती है
उसे मेरा इन्तेजार नहीं है
सब कहते हैं मुझे दीवाना उसका
जो उसके हर इंकार को भी
मेरे दिल की हर धडकन
बस इकरार समझती है
अब कैसे बताऊँ मै लोगो को
ये उनकी नजरे ही तो है
जिनसे बचने के लिए वो
प्यार के इजहार से इंकार करती है
चाहे कितना भी इंकार वो कर ले लेकिन
उसकी आँखों मे पढ़ा है मैंने
एक मै ही हूँ वो शख्स दुनिया मे
जिससे टूट कर के वो प्यार करती है
4 comments:
प्रेम रस भरी ...प्यारी रचना
आमीन ...
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जी धन्यवाद पसंद करने के लिए
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