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Wednesday, November 30, 2011

कागजो का वो छोटा सा पुलिंदा



कागजो का वो छोटा सा पुलिंदा
अपने भीतर प्यार को समेटे हुए
एक मधुर मनभावन खुशबू को
अपने आलिंगन में लपेटे हुए

आज फिर
मेरे हाथों मे जब आया
तो फिर
उस चहकते चेहरे ने
उस आँखों के जोडे ने
उस अगाध विश्वाश ने
उस प्यार के अहसास ने
उस वादों की वसीयत ने
उस पाने की नियत ने
उस पल के हर सवाल ने
उस पल मचे बवाल ने
मुझे फिर से
दो आंसूं तब रुलाया

जब कागजों का वो छोटा सा पुलिंदा
आज फिर
मेरे हाथों में जब आया
 
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