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Friday, October 28, 2011

आज दिवाली की रात, मै रो चुका हूँ

मै नहीं जानता की कोई अपनी डाल से टूट कर कही और जड़े तलाश बनाने की कोशिश कर रहा है की नहीं लेकिन अगर आप जड़ो से टूट कर अलग हुई एक डाल है तो शायद आप इसे समझ सकें

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आज दिवाली की रात है
आज फिर मै रो चुका हूँ
हर एक रिश्ते से और थोडा,
दूर अब मै हो चुका हूँ

अब दीवाली पर कभी भी
पिता का आशीष नहीं ले पाऊँगा
छोटे भाई को अब कभी भी
उपहार और कपड़े नहीं दे पाऊँगा
अब घर के चौक पर
पटाखे और फुलझड़ी जला न पाऊँगा
अब माँ के हाथों की
गुझिया और पपड़ी खा ना पाऊँगा

आज दिवाली की रात है
आज जाने क्या क्या मै खो चुका हूँ

आज दिवाली की रात है
और आज फिर मै रो चुका हूँ


अब दिवाली पर मुझे
कोई नए कपड़े दिलाता भी नहीं
अब मिठाई मुझ को कोई
अपने हाथो से खिलाता भी नहीं
अब पटाखों से जो जला तो
कोई मुझे मल्हम लगाता भी नहीं
आज फिर हाथ जल गया

दर्द में बिलख कर फिर
आज भूखा ही मै सो चुका हूँ

आज दिवाली की रात है
और आज फिर मै रो चुका हूँ

Friday, October 21, 2011

तलाश मोहब्बत की, तमाम उम्र करता रहा


तलाश मोहब्बत की, तमाम उम्र करता रहा
मै हर रोज ,थोडा थोडा कर के मरता रहा

मेरे नसीब मे मोहब्बत कभी थी ही नहीं
मै नाहक ही उसका इन्तेजार करता रहा

उसने आह भर कर दी, मेरे एक जख्म पर 
मेरा दिल उसके प्यार का दम भरता रहा

उससे मिली मुझे नफरत ही हर कदम
उसकी राहों में मै बस प्यार धरता रहा

मेरी दुनिया को कभी वो अपना नहीं पाई
उसकी दुनिया मे मै बस खुशिया भरता रहा

कई बार जोड़ा चिप्कियों से मेरे दिल को
सनम हर बार इसे जार जार करता रहा

जमाने की नफरतों से मुझे वो जलाती रही
"कुंदन" खुद को जला कर खाक करता रहा

Tuesday, October 18, 2011

तेरा तकिया मेरे कंधे से बहुत जलता है

तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है
मै सर रख लूं
तो उसका दम निकलता है

मेरे काँधे की शिकायत
बिस्तर से भी करता है
तुझ पर उसका हक
जताने का दम भरता है
खुद की तपिश से
वो ठण्ड मे भी पिघलता है

तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है

Wednesday, October 12, 2011

जिंदगी बदल कर भी नहीं बदलती



कितनी अजीब जिंदगी है मेरी
हर मोड पर कुछ बदल जाता है
मेरे सपने वक्त के साथ बदलते हैं
मेरे अपने भी कभी कभी बदलते हैं
मेरे खयाल भी बदलते हैं
मेरे हाल भी बदलते हैं
मेरी दुनिया भी बदल ही जाती है
पर कुछ है जो कभी बदलता नहीं
वो है मेरे दिल का वो कोना
जिसमे तेरी यादें बसी हुई हैं
इन यादों में तेरे होने की
प्यारी खुश्बू समाई हुई है
उस खुश्बू ने अब तक
मेरी दुनिया महकाई हुई है
दिल के उस कोने मे
वो मौसम भी नही बदलते
जो तेरे होने से सावन होते थे
तेरे ना होने से जेठ हो जाते थे
अब दिल के उस कोने मे
कभी सावन नहीं बरसता है
और जेठ का तपता सूरज
कभी पश्चिम में नहीं ढलता है

Monday, October 3, 2011

सब कुछ तो तुमने दे दिया

सब कुछ तो तुमने दे दिया,
मुझको एक आलिंगन में
चाहूँ भी तो मै क्या चाहूँ
कमी बची ही कहाँ जीवन में

उस आलिंगन से
दो बाँहों की परिधि में आकार
मुझको सारा संसार मिल गया
जग को खोने का तुमको पाने का
मुझको सारा अधिकार मिल गया,
एक उजियारा फ़ैल गया
मेरे मन के अंधियारे आंगन मे

चाहूँ भी तो मै क्या चाहूँ
कमी बची ही कहाँ जीवन मे
सब कुछ तो तुमने दे दिया,
मुझको एक आलिंगन मे

उस आलिंगन से
क्षोभ मिट गया, क्लेश मिट गया
मन की सारी तृष्णा मिट गई
कुछ कलुषिता मन में भरी हुई थी
वो सारी वितृष्णा मिट गई
भागीरथी अवतरित हो गई
मेरे पापी से इस मन में

चाहूँ भी तो मै क्या चाहूँ
कमी बची ही कहाँ जीवन मे
सब कुछ तो तुमने दे दिया,
मुझको एक आलिंगन मे

अब बस प्रेम की वर्षा होती है
तन मन मेरा भीगता जाता है
इस प्रेम की अमृत वर्षा में
मन प्रेम की अमर गीत गाता है
प्रेम संगीत बरसता है ऐसे
जैसे लगी झड़ी हो सावन में

चाहूँ भी तो मै क्या चाहूँ
कमी बची ही कहाँ जीवन मे
सब कुछ तो तुमने दे दिया,
मुझको एक आलिंगन मे
 
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