आज आँखों से रह रह कर कूछ टपक रहा है
है ये लहूँ या तेरी याद का समन्दर मै नहीं जानता
आज एक उबाल भी बाहर बह जाना चाहता है
है ये मोहब्बत या गम तेरी जुदाई का मै नहीं जानता
आज एक दर्द रह रह कर दिल पर दस्तक देता है
है ये पुराना जख्म या घाव तेरे न होने का मै नहीं जानता
खुद के होने पर रह रह कर एक सवाल उठता है
तेरे जाने के बाद से मै हूँ भी या नहीं हूँ मै नहीं जानता
तू गई लोगो ने कहा, तू बेवफा है तुझे मुझ से प्यार नहीं
मैने कहा, कहो जो चाहो, तुम्हारे कहे को मै नहीं मानता