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Friday, November 11, 2011

मै बस अकेला हो गया

मुझे याद है वो पल
जब तुमने मुझे छुआ था
मेरे अंतर मे उस पल
जाने क्या क्या हुआ था

साँसे थमी सी थी
दिल की धड़कन भाग रही थी,
मन की कई सोई सी
आशाये भी तब जाग रही थीं

फिर धीरे से जब तुमने
मुझे अपनी बाहों में छुपाया 
ऐसा लगा मानो जैसे
स्वर्ग धरती पर उतर आया

उस छुवन की तपिश
उन बाहों की कशिश
आज भी मेरे जेहन में ताजा है

पर वो एक सुखी संसार
वो जहाँ भर का सारा प्यार
जाने कहाँ खो गया
और सब के होते भी
मै बस अकेला हो गया

 
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