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Friday, February 23, 2018

तुम्हे तो शायद याद भी नहीं होगा

तुम्हे तो शायद याद भी नहीं होगा,
लेकिन मुझे अच्छी तरह से याद है

जब हम पहली बार मिले थे
तब घर के पीछे वाले बंजर टीले की
रेतीली जमीनी पर
पहली और आखरी बार
ढेर सारे कंवल खिले थे |

तुम्हे तो ये भी याद नहीं होगा

की जब तुमने मुझको
और मैंने तुमको
पहली बार गले से लगाया था
तब मुंडेर पर बेठे बेसुरे कव्वे ने भी
बहुत मीठे सुर में
पहली और आखरी बार
प्रेम का गीत गाया था |

और तुम्हे ये ज्ञात भी नही होगा

की जब तुम्हारे होठो ने
मेरे होठो को छुआ था
तब मेरे अपने होठो के बीच
पहली और आखरी बार
एक अद्भुत द्वंद हुआ था |

उस दिन से आज तक
मेरे होठ
एक दुसरे को छूने से
इनकार कर रहे हैं |
वजह सिर्फ इतनी है
की वो आज भी
तुम्हारे होठो का
इन्तेजार कर रहे हैं |

वजह सिर्फ इतनी है
की वो आज भी
तुम्हारे होठो का
इन्तेजार कर रहे हैं

अगर आप इसे सुनना चाहते हैं तो यहाँ से सुन सकते हैं |


 
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