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Tuesday, August 16, 2011

नियामकों तुम इसका फल पाओगे


खुद को नियामक कहने वालों
बताओ तुमने नियमों को कहाँ पाला है
लोकतंत्र की दुहाई दे कर खुद 
तुमने लोकतंत्र का जनाजा निकला है

तुम कहते हों
जनता ने चुनकर तुम्हे
संसद तक पहुँचाया था
इस जनता ने तुम्हे
मंत्री संतरी और नेता बनाया था


तुम कहते हों
जो देश के लिए लड़ना है
तो नेता बन कर संसद आओ
फिर संसद आ कर
राजनीती के गलियारों मे
देश की अस्मत लुटवाओ

मत भूलो इस जनता ने ही
नेहरू को नेता
पर गांधी को बापू बनाया था
गोरे अंग्रेजो से लड़ने को
जर्जर बापू की ताकत बनने को
पूरा देश उमड आया था

आज जो तुम अंग्रेजो सा
जुल्म एक
गाँधीवादी अहिंसक संत पर ढाओगे
क्या समझते हों देश की जनता को
कही पीछे तुम पाओगे

तुम कर लो
जो जुल्म तुमको करना है
हर जुल्म का हिसाब
तो तुम सब को यही भरना है

इस सब का फल
तुम जल्द ही पाओगे
जो था अब तक अन्ना उसको
दूसरा बापू तुम ही बनाओगे

और उस बापू की एक आवाज मे
औ सारे नियामकों तुम पूरे देश
की हुकार को पाओगे

 
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