Ads 468x60px

Pages

Friday, October 21, 2011

तलाश मोहब्बत की, तमाम उम्र करता रहा


तलाश मोहब्बत की, तमाम उम्र करता रहा
मै हर रोज ,थोडा थोडा कर के मरता रहा

मेरे नसीब मे मोहब्बत कभी थी ही नहीं
मै नाहक ही उसका इन्तेजार करता रहा

उसने आह भर कर दी, मेरे एक जख्म पर 
मेरा दिल उसके प्यार का दम भरता रहा

उससे मिली मुझे नफरत ही हर कदम
उसकी राहों में मै बस प्यार धरता रहा

मेरी दुनिया को कभी वो अपना नहीं पाई
उसकी दुनिया मे मै बस खुशिया भरता रहा

कई बार जोड़ा चिप्कियों से मेरे दिल को
सनम हर बार इसे जार जार करता रहा

जमाने की नफरतों से मुझे वो जलाती रही
"कुंदन" खुद को जला कर खाक करता रहा

 
Google Analytics Alternative