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Saturday, April 23, 2011

गुजरे हुए पल की यादे और पिता का अह्सास


ए वक्त तू भी थम जा
कुछ देर के लिए ही सही
तुझे तो याद होगा
मेरा गुजरा हुआ हर कल
आ बैठ मेरे साथ
और बाते कर मुझ से
मेरे गुजरे हुए कल की कुछ पल


तुझे तो याद होगा
मेरे जन्म पर पिता की
आँखों में आंसुओं का आ जाना
और बधाईयाँ सुन कर
उनका खुश हो जाना

तुझे तो याद होगा
मेरा वो पहला रोना
और उस रोने को सुन
कर सबका खुश होना

तुझे तो याद होगा
वो मेरा पहला कदम बढ़ाना
और उसे देख कर
पिता का मुझे बाहों में समाना

तुझे तो याद होगा
मेरा पिता की ऊँगली पकड कर
पहली बात स्कूल जाना
और उसे देख कर उनकी
आँखों से आंसूओं का छलक जाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरा वक्त बे वक्त बीमार हो जाना
और मेरी बीमारी में
पिता की भी नींदों का खो जाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरी महंगे खिलौने और कपड़ो की
मांगो को रो कर मनवाना
और उन मांगो को पूरा करने
के लिए पिता का ज्यादा कम करना
और देर से घर आना

तुझे तो याद होगा
हर रोज नई शैतानिया कर के
मेरा चुपके से घर में आना
और सुनने को दादी से
परियों की कहानी
पिता से उनको मनवाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरा पिकनिक पर जाना
और देर होने पर
पिता का व्याकुल हो जाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरा इम्तिहान में
अच्छे नंबर ले कर आना
और खुश हो कर पिता कर पूरे
मोहल्ले में मिठाई को बंटवाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरा कोलेज में जाना
और कॉलेज जाने की लिए
पिता का मुझे नहीं कमीज दिलाना

तुझे तो याद होगा
किसी लड़की का
पहली बार मेरे जीवन में आना
और मेरे चेहरे के रंग को देख कर
पिता का सब समझ जाना

तुझे तो याद होगा
उस रिश्ते के टूटने पर मेरा
उदास हो जाना
और पिता का मुझे
बड़े प्यार से समझाना

तुझे तो याद होगा
वो मुझे नौकरी मिलने पर
पिता का खुश हो जाना
और मेरी नौकरी के पहले दिन
पर मुझे नई घडी दिलवाना

तुझे तो याद होगा
वो मेरी शादी के दिन का आना
और पिता का अपने
हाथो से मुझे दूल्हा बनाना

तुझे तो याद होगा
पत्नी का माँ से खिटपिटा करने 
पर मेरा पिता के सामने शर्मिंदा हो जाना
और बिना कुछ कहे ही
मेरी मनोव्यथा को पिता का समझ जाना


तुझे तो याद होगा
मेरा प्रसव पीड़ा सहती पत्नी को
अस्पताल ले कर जाना
और फिर मेरा भी
पिता हो जाना

ए वक्त तू भी थम जा
कुछ देर के लिए ही सही
तुझे तो याद होगा
मेरा गुजरा हुआ हर कल
आ बैठ मेरे साथ
और बाते कर मुझ से
मेरे गुजरे हुए कल की कुछ पल



आम तौर पर जब किसी को चोट लगती है तकलीफ होती है तो वो कहते हैं माँ पर मै उन चंद लोगो में से हूँ जो कहता है बाबु (मेरे पापा को मै यही कहता हूँ ) उन्ही को समर्पित है ये कविता

मोहब्बत तो आज भी करता हूँ

मोहब्बत तो आज भी करता हूँ
मै तुम्हे उतनी ही लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब
मै मेरी मोहब्बत बतलाता नहीं हूँ

इन्तेजार करता हूँ मै आज भी
हर रोज उस सडक पर तुम्हारा लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है छुपा होता हूँ
इसलिए तुम्हे नजर आता नहीं हूँ

खरीदता हूँ लाल गुलाबो का गुलदस्ता
आज भी हर रोज लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की वो गुलदस्ता
तुम्हे दे पाता नहीं हूँ

जाता हूँ आज भी हर शाम काफ़ीहाउस में
खुशनुमा वक्त बिताने को लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की पहले की तरह
अब तुम्हे बुलाता नहीं हूँ

देता हूँ आज भी केपेचिनो और स्ट्राबेरी शेक
का आर्डर हर रोज लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की पहले की तरह
तुम्हारे स्ट्राबेरी शेक पर मेरा हक दिखाता नहीं हूँ

जाता अभी भी हूँ लॉन्ग ड्राइव पर
हर हफ्ते लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की पहले की तरह
तुम्हारी स्कूटी पर बैठ कर पीछे से तुम्हे गुदगुदाता नहीं हूँ


आरजू आज भी हूँ तुम्हारे नर्म हाथो को पकड़
कर गुलाबी गाली को चूम लेना लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब मै
ऐसा करने का अधिकार पाता नहीं हूँ

चाहता आज भी हूँ तुम्हारी जुल्फों की
छाँव में थक कर सो जाना लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब वह तक पहुँचने
का कोई रास्ता ढूंढ पाता नहीं हूँ

तडपता आज भी हूँ तुम्हे
बाहों में भर लेने को लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब मै मेरी बाहें
फैला पाता नहीं हूँ

सुलगती है मेरी आँखे आज भी
तुम्हे किसी और के साथ देख कर लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है के अब
मै मेरी जलन से किसी को जलाता नहीं हूँ


शर्मिदा आज भी हूँ मै
मेरी गलतियों से लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब पहले की तरह
माफ़ी मांग पाता नहीं हूँ

ख्वाहिश आज भी है मेरे दिल में
प्यार का इजहार कर देने की लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब
तुमसे नजरे मिला पाता नहीं हूँ

मोहब्बत तो आज भी करता हूँ
मै तुम्हे उतनी ही लेकिन
फर्क सिर्फ इतना है की अब
मै मेरी मोहब्बत बतलाता नहीं हूँ
 
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