ए वक्त तू भी थम जा
कुछ देर के लिए ही सही
तुझे तो याद होगा
मेरा गुजरा हुआ हर कल
आ बैठ मेरे साथ
और बाते कर मुझ से
मेरे गुजरे हुए कल की कुछ पल
तुझे तो याद होगा
मेरे जन्म पर पिता की
आँखों में आंसुओं का आ जाना
और बधाईयाँ सुन कर
उनका खुश हो जाना
तुझे तो याद होगा
मेरा वो पहला रोना
और उस रोने को सुन
कर सबका खुश होना
तुझे तो याद होगा
वो मेरा पहला कदम बढ़ाना
और उसे देख कर
पिता का मुझे बाहों में समाना
तुझे तो याद होगा
मेरा पिता की ऊँगली पकड कर
पहली बात स्कूल जाना
और उसे देख कर उनकी
आँखों से आंसूओं का छलक जाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरा वक्त बे वक्त बीमार हो जाना
और मेरी बीमारी में
पिता की भी नींदों का खो जाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरी महंगे खिलौने और कपड़ो की
मांगो को रो कर मनवाना
और उन मांगो को पूरा करने
के लिए पिता का ज्यादा कम करना
और देर से घर आना
तुझे तो याद होगा
हर रोज नई शैतानिया कर के
मेरा चुपके से घर में आना
और सुनने को दादी से
परियों की कहानी
पिता से उनको मनवाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरा पिकनिक पर जाना
और देर होने पर
पिता का व्याकुल हो जाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरा इम्तिहान में
अच्छे नंबर ले कर आना
और खुश हो कर पिता कर पूरे
मोहल्ले में मिठाई को बंटवाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरा कोलेज में जाना
और कॉलेज जाने की लिए
पिता का मुझे नहीं कमीज दिलाना
तुझे तो याद होगा
किसी लड़की का
पहली बार मेरे जीवन में आना
और मेरे चेहरे के रंग को देख कर
पिता का सब समझ जाना
तुझे तो याद होगा
उस रिश्ते के टूटने पर मेरा
उदास हो जाना
और पिता का मुझे
बड़े प्यार से समझाना
तुझे तो याद होगा
वो मुझे नौकरी मिलने पर
पिता का खुश हो जाना
और मेरी नौकरी के पहले दिन
पर मुझे नई घडी दिलवाना
तुझे तो याद होगा
वो मेरी शादी के दिन का आना
और पिता का अपने
हाथो से मुझे दूल्हा बनाना
तुझे तो याद होगा
पत्नी का माँ से खिटपिटा करने
पर मेरा पिता के सामने शर्मिंदा हो जाना
और बिना कुछ कहे ही
मेरी मनोव्यथा को पिता का समझ जाना
तुझे तो याद होगा
मेरा प्रसव पीड़ा सहती पत्नी को
अस्पताल ले कर जाना
और फिर मेरा भी
पिता हो जाना
ए वक्त तू भी थम जा
कुछ देर के लिए ही सही
तुझे तो याद होगा
मेरा गुजरा हुआ हर कल
आ बैठ मेरे साथ
और बाते कर मुझ से
मेरे गुजरे हुए कल की कुछ पल
आम तौर पर जब किसी को चोट लगती है तकलीफ होती है तो वो कहते हैं माँ पर मै उन चंद लोगो में से हूँ जो कहता है बाबु (मेरे पापा को मै यही कहता हूँ ) उन्ही को समर्पित है ये कविता
आम तौर पर जब किसी को चोट लगती है तकलीफ होती है तो वो कहते हैं माँ पर मै उन चंद लोगो में से हूँ जो कहता है बाबु (मेरे पापा को मै यही कहता हूँ ) उन्ही को समर्पित है ये कविता