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Monday, August 22, 2011

इटली की माता तुम मे है दम

मैने कभी पैरोडी नहीं लिखी लेकिन ये अपने आप ही बन गई तो मैने चेंप दी है अब आपकी सेवा मे है
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पार्टी पुकारे तुझे पार्टी पुकारे

आ जा रे अब आ जा रे
डरे हुए सब नेता यहाँ हैं
डर को मिटा दे
आ जा रे अब डर को मिटा दे रे

हिंदी का भाषण इंग्लिश मे पढ़ती वो शान से
मंत्री जी तो थर थर काँपे सुन कर उनका नाम रे
रंग है उनका गोरा सा,और अब तक है काले बाल रे
बड़े बड़े काम हो जाते बस सुन कर उनका नाम रे

इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम


पार्टी के अंदर भी फूट पड़ी रे
अलगाव की आंधी बहती री
बंटते नेताओ को तु एक करा दे
आ जा ओ माता मेरी

इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम

मनमर्जी का बढता जाए हों राज हों माता
अपने भी हों गए उनके साथ
आज हमे बंटने से बचा ले
आ जा  रे माता मेरी

इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम

लोकपाल से अब तो है पार्टी डरी रे
जाती है पार्टी की साख
पार्टी की गयी हुई साख फिर से ले आओ
आ जा  रे माता मेरी

इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम

इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम
इटली की माता तुम मे है दम, तुम्हे पुकारे हम










लोग अन्ना हजारे का समर्थन क्यों कर रहे हैं? मेरा जवाब

यहाँ लिखा एक एक शब्द सच है और मेरी आप बीती हैं

देर शाम को पत्नी व बेटी को राजवाडा पर फ्रूट चाट खिला रहा था तो देखा हर १ मिनट मे अन्ना हजारे जिंदाबाद के नारे लगते हुए लोग निकल रहे थे, पत्नी ने पूँछा "इतने लोग अन्ना के साथ कैसे हों गए हैं"

तभी एक हेड कांस्टेबल स्तर के पुलिस वाले ने एक पपीता उस फ्रूट चाट वाले के ठेले से उठाया और जाने लगा, ठेले वाला बोला साहब ४० रूपये का है, तो पुलिस वाले साहब ने धूर्तता जवाब दिया ४० का ही है न हों गया हिसाब फिर.

ठेले वाले की आँखों मे कातरता थी, पुलिस वाले की आँखों मे निर्लज्जता और मेरी आँखों मे मजबूरी का अपराध बोध और थोड़े से आँसू.

मैने पुलिस वाले साहब की तरफ इशारा करते हुए कहा इस वजह से

अब उन पुलिस वाले साहब ने मुझे देखा, मेरी आँखे भी देखी जिसमे गुस्सा भी था, दर्द भी और आँसू भी.

इस बार उनकी आँखों मे मुझे शर्म दिखी थी. वो वहीँ बैठ कर अपने दो दोस्तों के साथ वो पपीता काट कर खाने लगे और मुझे देख रहे थे, मेरी २ साल की बेटी ने मेरे गालो पर आँसू देखे और अपने रुमाल से उसे पोंछने की कोशिश करने लगी तो वो पुलिस हेड कांस्टेबल फ्रूट चाट वाले से बोले तुझे पैसे देता हूँ.

मेरी आँखे फिर से बह गई, पर इस बार मेरी आँखों मे गर्व था, ठेले वाले की आँखों मे मेरे लिए प्यार तथा सम्मान और पुलिस वाले साहब की आँखों मे अपराधबोध.

ये पहला मौका नहीं है जब मैने किसी पुलिस वाले को उनकी निर्लज्जता के कारण मुह पर धिक्कारा हों लेकिन ये पहला मौका है जब किसी पुलिस वाले को लज्जित होते देखा मैने

कारण जन लोकपाल के समर्थन मे उठी आवाज है, या मेरे आँसू ये तो नहीं जानता लेकिन मुझे जन लोकपाल से एक बल जरूर मिल गया है



 
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