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Sunday, May 29, 2011

तेरी आँखे


क्या कहूँ तेरी आँखों के बारे मे
जब भी इन्हें देखता हूँ
तो लगता है

इन आँखों मे झील की गहराई है
इन आँखों मोती की सच्चाई है

इन आँखो मे प्रेम का सागर है
इन आखो मे सुधा की गागर हैं


इन आँखों मे एक मधुशाला है
इन आँखों मे प्रेम की एक पाठशाला है
प्रेम को नृत्य से जीवंत कर दे
ऐसी एक रंगशाला है


ये सब है इन आँखों मे
फिर भी जाने क्यों लगता है

इन आँखों मे
एक न मिटने वाली प्यास है
लगता है जैसे इन आँखों को
किसी खास की तलाश है
 
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