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Sunday, April 24, 2016

जन्नत का दीदार हुआ |

तूने जो छुआ होठो से, जन्नत का दीदार हुआ |
चाहा तुझे ना चाहे, पर फिर भी दिल बेक़रार हुआ|

कोशिश बहुत की हमने, अरमानो को दिल में दबाने की
पहले दबे पल भर को, फिर अरमानो का यलगार हुआ |

शिकायते हमारी तो, कम न थी नसीब से हो
पर तेरे छूने से, खुद की खुशनसीबी पर ऐतबार हुआ |


चाहां भी की दिल का हाल तुझे बता दे हम
पर डरते रहे, क्या होगा जो तेरा इनकार हुआ |


ज्यादा चाहते नहीं है, पर सारी खुशियाँ मेरी हो जाये
जो तू कह दे, "कुंदन" मुझ को भी तुझ से प्यार हुआ |
 
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