हर सुबह उठने पर
कई आवाजे कानो से टकराती हैं,
उनमे से एक आवाज पर
कान बरबस ही ठहर जाते हैं.
और वो दूसरी आवाज
पहली आवाज को पूरा
करते हुए
एक मधुर संगीत बनाती है,
और शायद कहती है
"क्या हुआ जो हम
कैद में हैं,
हम एकसाथ तो हैं".
और फिर मै फरियाद करता हूँ
गर साजन का साथ
कैद में ही मिलता है
तो या खुदा मुझे उम्र कैद ही दे दे
कई आवाजे कानो से टकराती हैं,
उनमे से एक आवाज पर
कान बरबस ही ठहर जाते हैं.
और वो दूसरी आवाज
पहली आवाज को पूरा
करते हुए
एक मधुर संगीत बनाती है,
और शायद कहती है
"क्या हुआ जो हम
कैद में हैं,
हम एकसाथ तो हैं".
और फिर मै फरियाद करता हूँ
गर साजन का साथ
कैद में ही मिलता है
तो या खुदा मुझे उम्र कैद ही दे दे