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Sunday, May 1, 2011

चाहत उम्र कैद की

हर सुबह उठने पर 
कई आवाजे कानो से टकराती हैं,
उनमे से एक आवाज पर
कान बरबस ही ठहर जाते हैं.
और वो दूसरी आवाज
पहली आवाज को पूरा
करते हुए
एक मधुर संगीत बनाती है,
और शायद कहती है
"क्या हुआ जो हम
कैद में हैं,
हम एकसाथ तो हैं".
और फिर मै फरियाद करता हूँ
गर साजन का साथ
कैद में ही मिलता है
तो या खुदा मुझे उम्र कैद ही दे दे

रंगों के मौसम में तुम्हारा आना

रंगों के इस मौसम में
तुम मेरे जीवन में आई थी,
मेरे बेरंग जीवन को रंगने को
जाने कितने रंग तुम संग में लाई थी . 

अब तो मेरे जीवन का हर रंग
तुमसे ही रंग पाता है,
तुम्हारे बिना जीवन मेरा
स्याह और वीरान नजर आता है.

मेरे जीवन की तस्वीर
तुम्हारे दिए रंगों से ही पूरी होती है

तुम्हारे होठो की लाली से
इस तस्वीर में सुर्खी आती है
तुम्हारे सुनहले बालो से
हर और चमक छा जाती है

तुम्हारी आँखों का काजल
हर अंग को पूरा करता है
और गालो को गुलाल ही
वर्णशून्य में रंग भरता है

तुम्हारी वो मधुर मुस्कान
एक इंद्र धनुष बनाती है
मेरे सुने जीवन को
सात रंग से रंग जाती है

तुम हो मेरे जीवन का आधार
और मेरी हर तस्वीर के रंगों का सार

ये  कविता समर्पित है मेरी धर्म पत्नी के लिए, जो की मैंने उन्हें लिख कर दी थी होली के पावन अवसर पर
 
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