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Sunday, May 1, 2011

रंगों के मौसम में तुम्हारा आना

रंगों के इस मौसम में
तुम मेरे जीवन में आई थी,
मेरे बेरंग जीवन को रंगने को
जाने कितने रंग तुम संग में लाई थी . 

अब तो मेरे जीवन का हर रंग
तुमसे ही रंग पाता है,
तुम्हारे बिना जीवन मेरा
स्याह और वीरान नजर आता है.

मेरे जीवन की तस्वीर
तुम्हारे दिए रंगों से ही पूरी होती है

तुम्हारे होठो की लाली से
इस तस्वीर में सुर्खी आती है
तुम्हारे सुनहले बालो से
हर और चमक छा जाती है

तुम्हारी आँखों का काजल
हर अंग को पूरा करता है
और गालो को गुलाल ही
वर्णशून्य में रंग भरता है

तुम्हारी वो मधुर मुस्कान
एक इंद्र धनुष बनाती है
मेरे सुने जीवन को
सात रंग से रंग जाती है

तुम हो मेरे जीवन का आधार
और मेरी हर तस्वीर के रंगों का सार

ये  कविता समर्पित है मेरी धर्म पत्नी के लिए, जो की मैंने उन्हें लिख कर दी थी होली के पावन अवसर पर

5 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावमयी प्रस्तुति..

(word verification हटा दें तो कमेन्ट देने में सुविधा रहेगी)

(कुंदन) said...

धन्यवाद सर प्रोत्साहन के लिए

वर्ड वेरीफिकेशन हटा दिया है कमेन्ट सेक्शन से आपका धन्यवाद धयन दिलाने के लिए

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर भाव

(कुंदन) said...

धन्यवाद गीत जी और वंदना जी

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