आज देश मे हर शख्स
इमानदारी की डफली बजा रहा है
देश को भ्रस्टाचार से मुक्त करो
यही एक राग गा रहा है
कोई नेताओं को भ्रष्टाचारी बताता है
कोई सिस्टम को दोषी ठहरता है
पर जाने क्यों कोई भी शख्स
खुद के अंदर है जो भ्रष्टाचारी
उस पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाता है
कभी हम गैस की टंकी
कुछ ज्यादा पैसे दे कर ले लेते हैं
कभी अपने अधिकारों का हनन
चुप कर के सह लेते हैं
कभी भगवान के दर्शन भी
कुछ पैसे दे कर जल्दी कर आते हैं
और कभी टैक्स के थोड़े पैसे बचाने को
पूरे पैसे का बिल नहीं बनवाते हैं
और उस पूरे पैसे को
व्यापारी की काली कमाई मे पहुंचाते हैं
हम खुद ईमानदार नहीं है
लेकिन नेताओं से इमानदारी की उम्मीद लगाते हैं
आप खुद ही बताइये क्या सच मे
आप भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना चाहते हैं
जो आपका जवाब हाँ है तो खुद से भी लड़ना होगा
खुद के अंदर है जो भ्रष्टाचारी उसे समाप्त करना होगा
किसी और के घर मे भगत सिंह के आने का
इन्तेजार अब बंद करना होगा
जब तक हम दूसरों के घरों मे
भगत सिंह के होने की दुआएं मनाएंगे
तब तक हम भ्रस्टाचार की अंधी मे
सिर्फ सूखे दरख्तों की तरह टूटते ही जायेंगे
गाँधी, नेहरु, सुभाष, तिलक और भगत सिंह
फिर से अब हमारे लिए लड़ने को नहीं आयेंगे
उनके बनाए रास्तो पर चल कर
खुद ही भ्रष्टाचार से अब हमें लड़ना होगा
हर कतरे पर फैले भ्रस्टाचार का
प्रतिकार हमें ही करना होगा
मै ये नहीं कहता की
कोई बदलाव एक दिन मे आ जायेगा
६४ सालो की गंदगी को धुलने मे
थोडा वक्त तो लग ही जायेगा
और हम जो आज पहला कदम बढ़ाएंगे
तभी कल एक अच्छा भारत बना पाएंगे
***************************
उम्मीद है आप मेरी राय से इत्तेफाक रखते हैं और इस विषय मे कुछ न कुछ जरूर करेंगे