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Monday, April 25, 2011

लोकपाल बिल और नेता का दिल


कई नेता लोकपाल बिल
का विरोध कर रहे थे
हमने उनसे पूंछा आप क्यों विरोध कर रहे हैं तो वो 
उनका तर्क था

जनता तक क्या हम पहले ही कम बिल पहुंचाते हैं
जो अन्ना एक और बिल जनता पर लादे जाते हैं

हम बोले ये बिल तो जनता को फायदा ही पहुँचायेगा
नेता जी बोले पहले ये बताइए क्या ये बिल संसद में पास हो पायेगा

हम बोले हां इसकी तो काफी कम ही उम्मीद है
क्योंकि जो ये बिल पास हो गया तो आपका दिल फेल हो जायेगा

नेता जी फिर आत्मविश्वाश से बोले जो
ये बिल पास हो भी गया तो हमारा क्या बिगड जायेगा

हम बोले क्या बिल के पास होने से
जनता के पास अधिक अधिकार नहीं आ जायेगा
और आपके किये जाने वाले भ्रस्टाचार पर अंकुश नहीं लग जायेगा

नेता जी फिर बोले क्या आप भूल गए
इस बिल का मसौदा भी कुछ नेता ही मिल कर बनायेंगे
हम बोले पर इस समिति में कुछ जनता के प्रतिनिधि भी तो होंगे
क्या वो उस सब के विरुद्ध आवाज नहीं उठाएंगे

नेता जी बोले क्या जनता के प्रतिनिधि
जनता के भोलेपन से अलग होंगे

जब हमने  ६४ साल
भोली जनता को मूर्ख बनाया
तो भला अब क्यों हम रियायत दिखायेंगे

फिर वो बोले इस बिल को
हम खरगोश के बिल की तरह बनायेंगे
जीसके कारण कभी भी हम भ्रष्टाचारी
इमानदारी के साँप की पकड में नहीं आएंगे

हम बोले आप आपका मुगालता पालिए
हम हमारा मुगालता पालेंगे
जो हम सफल हुए तो
भ्रष्टाचारीयों पर कई सोंटे बरसाएंगे

और जो आप हुए सफल तो
हम हार नहीं मांनंगे और उसी सोंटे पर
इंकलाबी झंडा लगा कर
फिर से दिल्ली कूंच कर जायेंगे

और फिर भूख हड़ताल करेंगे
और फिर सरकार को हमारे सामने झुकायेंगे
लेकिन ये तय है
की अब जो आगे बढ़ चुके हैं कदम
तो उन्हें पीछे नहीं हटाएंगे,
या तो जियेंगे शान से
या इन्कलाब के इस तूफ़ान में
अपनी ताकत देते हुए मिट जायेंगे
पर अब हम एक अच्छा भारत बनायेंगे
पर अब हम एक अच्छा भारत बनायेंगे

 
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