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Tuesday, May 31, 2011

तू और मै


तेरे मेरे बीच मे
ये तेरा मेरा कैसा है.
मै तो कब से ही
तुझ मे खो कर,
तू हो चूका हूँ
और मै यही समझता था, 
की तू भी मै हों चुकी होगी.

मै समझता था,
हम दोनों हवा मे मिली गंध
और पानी मे मिले रंग
की तरह एक हो चुके हैं,
जिसमे कोई भी अलगाव
होना अब मुमकिन नहीं है.

पर ये कौन सी छलनी है
जिसने हवा को भी छान दिया,क
जीसने पानी मे घुले रंग
को भी पानी से बाँट दिया.

जिसने 
एक तू या एक मै से,
एक तू और एक मै
का निर्माण कर दिया,
और मै से मुझ को
तथा तू से तुझ को
अलग कर दिया.
 
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