सूर्य की लालिमा
आकाश के कुछ भाग को
केसरिया बना रही थी,
और कुछ रश्मियाँ
श्यामवर्णी बादलो पर
मुग्ध हो,
उन पर छिटक कर
आकाश में मचलते हुए,
प्रकाश का एक अदभुत
प्रतिबिम्ब बना रही थी,
किसी ने इस चित्र को
देख कर कहा
ये किरणे तो
उदय होते सूर्य की हैं
जो एक नए दिन की
शुरुआत ला रही हैं.
किसी ने कहा इस चित्र को
देख कर कहा
ये किरणे तो
अस्त होते सूर्य की हैं
जो दिन को समापन
की और ले जा रही हैं.
मैंने देखा और सोचा
ये किरणे तो आशा की है
यदि साँझ की है ये किरणे
तो आज अस्त होंगी पर
कल भोर में फिर आएंगी
और यदि ये भोर की किरणे हैं
तो अस्त होने के पहले एक
दिवस को सार्थक कर जाएँगी