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Monday, December 31, 2018

गरीब की तो मौत भी बेचारी होती है...



किसी ने कहा मुझ से, अमीर और गरीब के बीच थोड़ा अंतर बताने को |
जिन्दगी से मौत तक सब अलग ही है, क्या कहूं बहुत अंतर है गिनाने को

गरीब की तो मौत भी बेचारी होती है, कंधे नहीं मिलते जनाजा उठाने को
अमीर मरता है तो भी शांन से, लोग इन्तेजार करते हैं कंधा लगाने को |

मुफलिसी में मरने वाले की कभी कोई इज्जत नहीं करता मेरे दोस्त
अमीर मरता है तो अनजान भी आ जाते हैं, उसकी नेकी गिनाने को |

अगर अमीर मरोगे, तो झूठे ही सही लोग कुछ आंसू जरूर बहायेंगे
गरीबी में मरे, तो गुमनाम ही रहोगे, कोई फर्क नहीं पड़ेगा जमाने को |

अमीर की चिता से, मॉस की बू नहीं चन्दन के जलने की खुशबू आती
गरीब की मौत पर कई बार सूखी लकड़ी भी नही मिलती लाश जलाने को |

मुझे मत बताओ नेकी, रिश्ते और प्यार की बाते, "मै कुंदन हूँ", सच जानता हूँ |
तुम्हे यकीन नहीं है मुझ पर, तो मर के देख लो, मेरी बात आजमाने को |

नए साल की संध्या पर ऐसी गजल शोभा तो नहीं देती, और माफ़ी भी मांगता हूँ,  लेकिन दिल कभी कभी टूट जाता है तो मजबूरी हो जाती है| परसों एक रिश्तेदार (वो अमीर हैं ) के यहाँ अंतिम यात्रा में सैंकड़ो लोगो को देखा था, और आज एक अनजान की शवयात्रा देखी जिसमे इतने लोग भी नहीं थे की सब कंधो को चार बार बदला जा सके | पता किया तो पता चला ये इंसान बहुत ही गरीब था | 

Friday, February 23, 2018

तुम्हे तो शायद याद भी नहीं होगा

तुम्हे तो शायद याद भी नहीं होगा,
लेकिन मुझे अच्छी तरह से याद है

जब हम पहली बार मिले थे
तब घर के पीछे वाले बंजर टीले की
रेतीली जमीनी पर
पहली और आखरी बार
ढेर सारे कंवल खिले थे |

तुम्हे तो ये भी याद नहीं होगा

की जब तुमने मुझको
और मैंने तुमको
पहली बार गले से लगाया था
तब मुंडेर पर बेठे बेसुरे कव्वे ने भी
बहुत मीठे सुर में
पहली और आखरी बार
प्रेम का गीत गाया था |

और तुम्हे ये ज्ञात भी नही होगा

की जब तुम्हारे होठो ने
मेरे होठो को छुआ था
तब मेरे अपने होठो के बीच
पहली और आखरी बार
एक अद्भुत द्वंद हुआ था |

उस दिन से आज तक
मेरे होठ
एक दुसरे को छूने से
इनकार कर रहे हैं |
वजह सिर्फ इतनी है
की वो आज भी
तुम्हारे होठो का
इन्तेजार कर रहे हैं |

वजह सिर्फ इतनी है
की वो आज भी
तुम्हारे होठो का
इन्तेजार कर रहे हैं

अगर आप इसे सुनना चाहते हैं तो यहाँ से सुन सकते हैं |


 
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