मैंने तुम से इश्क किया था,
और तुमने सिर्फ मुहब्बत की थी,
तुम्हारी मुहब्बत में तो
सिर्फ देने की चाहत थी
और खोने का कोई डर नहीं था |
मेरे इश्क में पाने की हवस थी
और खोने का डर भी होता था |
बिन तुम्हारे कैसे होंगे हालात
जहन में उसका मंजर भी होता था |
पर अब नहीं,
अब दिल में कोई डर नहीं है,
कोई वहशत नहीं है,
अब इश्क भी नहीं है,
हाँ बेपनाह मुहब्बत जरूर है |
वही मुहब्बत जो तुमने मुझ से की थी
और फिर मुझे दी थी |
लोग यहाँ सवाल ये भी कर सकते हैं
की मुहब्बत और इश्क में अंतर क्या है ?
मै ना ही उनको समझाने वाला हूँ
ना ही उनको कुछ बताने वाला हूँ |
मुझे बस तुम्हे बताना था
तुम तो समझ गई होगी,
बस उतना काफी है |
और नहीं समझी तो आगे कुछ कहने का फायदा भी क्या है
4 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (07-01-2019) को "मुहब्बत और इश्क में अंतर" (चर्चा अंक-3209) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
वाह बहुत सृजन
विडीओ ब्लॉग पंच के अगले एपिसोड में आपके एक ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा की जाएगी
कुछ इस तरह कश्मीर और ब्लॉग पंच पार्ट 4 । "
: Enoxo multimedia
तुलसीभाई पटेल
Eksacchai
बहुत ही सुंदर अहसास आपके शब्दों में ।
सादर
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