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Monday, April 18, 2011

मुझे मजबूर ना कहो मजबूत हूँ मै

मुझे मजबूर ना कहो
मजबूत हूँ मै
भ्रष्टाचार की आंधी में भी
पर्वत के जैसा खड़ा हूँ मै
और भ्रष्टाचार को गठबंधन
की मजबूरी कहने से भी नहीं डरा हूँ मै
विपक्ष ने कई आरोप लगाये मुझ पर
लेकिन फिर भी  पद
पर बना हुआ हूँ मै
मैंने रजा और कलमाडी जैसे
कितने ही बवंडरो को सहा है
फिर भी अपनी जगह पर
अडिग खड़ा हुआ हूँ मै
गठबंधन की इस सरकार को
मैंने मेरे मजबूती से बांध रखा है
तभी रजा के जेल जाने पर भी
मध्यावधि चुनवा का खतरा नहीं बढ़ा है
महंगाई पर रोक नहीं लगेगी
मैंने बड़ी ही दिलेरी से स्वीकार करा था
फिर भी पत्रकार वार्ता में
पत्रकारों को संबोधित करने के लिए
कभी पीछे नहीं हटा था
नेता नहीं नौकर हूँ मै
सदा नौकरी करता आया हूँ
मजबूती से आदेश का पालन करता हूँ
जो सदा से करता आया हूँ
पहले लेता था आदेश
मै एक कुर्सी से
अब उसी कुर्सी पर बैठ कर
मैडम के आदेश का पालन करता हूँ
उन्होंने मुझे पद दिलाया है 
मै तो बस स्वामिभक्ति दिखाता हूँ
मजबूर नहीं मजबूत हूँ मै
मजबूती से अपना धर्म निभाता हूँ

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ये मेरे कवि मन की मात्र एक व्यंग्यात्मक रचना है, कृपया इसे कोई भी व्यक्तिगत रूप से ना ले

आप सभी का स्वागत है मेरी कविताओं, नज्मो और शेरों की दुनिया में

यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद 

पिछले  कई सालो से लिखना लगभग छोड़ चूका था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से फिर से लिखना शुरू किया है और उम्मीद करता हूँ अबकभी बंद नहीं करूँगा....

लिख कर जो भी दोस्तो को दिखाया तो उन्हें तो काफी पसंद आया है सब इस लिए यहाँ एक ब्लॉग शुरू कर लिया है सभी पर मेरी कविताओं, नज्मो और शेरों के जरिये अत्याचार करने के लिए :).


अगर आप को पसंद आये तो तारीफ ना करें चलेगा लेकिन अगर पसंद नहीं आया कुछ तो कृपया बुराइ करने में कंजूसी ना करें, वो मुझे मेरी रचनाओं को सुधारने में काफी सहयोग देगा.

यहाँ  मै मेरे उपनाम से ही लिखना पसंद करूँगा जो मुझे मिला था मेरी किसी कविता के ही जरिये

भवदीय
कुंदन
 
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