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Wednesday, July 13, 2011

ये जेहादी नहीं जल्लादी हैं


आज फिर कुछ बम फोड़े हैं
उन लोगो ने फिर कूछ जाने ले डाली हैं
जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं


वो इंसानों की जान को
मजहब और खुदा के नाम पर मिटाते हैं
अपनी खुदगर्जी को वो
जाने कैसे जेहाद बतलाते हैं
जेहाद का मतलब तो
हर तम में उजियारे को पाना है
भूल के झगड़े
इंसानों के इंसानों से
नफरत से मुक्त हों जाना है


जो लोग बढ़ाते हैं झगड़े
धर्म और जिहाद के नाम पर
वो इंसान नहीं गाली हैं


जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
......

ये जो जाने लेने वाले हैं
उनमे से कई कपूत तो
देश की मिटटी ने
अपने आंचल में ही पाले हैं
जाने कब समझेंगे ये
जाने लेने वाले किस्मत के हेठे
जिनकी जाने लेते हैं ये
वो भी तो है किसी माँ के बेटे


इन आतंकियों के फैलाये खून से
मेरे देश की धरती पर फैली खुनी लाली


जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं


इन कातिलों के नेता
खुद को कहलाते धर्म के ठेकेदार हैं
फिर भी ये किन्नर
करते छुप कर पीठ पर वार हैं


ये नेता स्वर्ग और धन के लालच से
मेरे देश के बच्चो को
देश के खिलाफ लड़ने को बरगलाते हैं
जाने ले कर बेगुनाहों की
खुद को सच्चा इंसान कहलाते हैं
चाहे कोई इन कपूतों को
माँ का भटका लाल कहूँ
इन्होने भेजा है
कितने ही माँ है के लालो को
काल की गाल में
क्युओं ना मै काल से
लील जा इनको काल कहूँ


जो निर्दोषों की जाने लेने को
स्वर्ग का द्वार बताते हैं
उनकी नियत तो बस काली है


जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
आज फिर कुछ बम फोड़े हैं
उन लोगो ने फिर कूछ जाने ले डाली हैं

 
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