आज फिर कुछ बम फोड़े हैं
उन लोगो ने फिर कूछ जाने ले डाली हैं
जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
वो इंसानों की जान को
मजहब और खुदा के नाम पर मिटाते हैं
अपनी खुदगर्जी को वो
जाने कैसे जेहाद बतलाते हैं
जेहाद का मतलब तो
हर तम में उजियारे को पाना है
भूल के झगड़े
इंसानों के इंसानों से
नफरत से मुक्त हों जाना है
जो लोग बढ़ाते हैं झगड़े
धर्म और जिहाद के नाम पर
वो इंसान नहीं गाली हैं
जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
......
ये जो जाने लेने वाले हैं
उनमे से कई कपूत तो
देश की मिटटी ने
अपने आंचल में ही पाले हैं
जाने कब समझेंगे ये
जाने लेने वाले किस्मत के हेठे
जिनकी जाने लेते हैं ये
वो भी तो है किसी माँ के बेटे
इन आतंकियों के फैलाये खून से
मेरे देश की धरती पर फैली खुनी लाली
जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
इन कातिलों के नेता
खुद को कहलाते धर्म के ठेकेदार हैं
फिर भी ये किन्नर
करते छुप कर पीठ पर वार हैं
ये नेता स्वर्ग और धन के लालच से
मेरे देश के बच्चो को
देश के खिलाफ लड़ने को बरगलाते हैं
जाने ले कर बेगुनाहों की
खुद को सच्चा इंसान कहलाते हैं
चाहे कोई इन कपूतों को
माँ का भटका लाल कहूँ
इन्होने भेजा है
कितने ही माँ है के लालो को
काल की गाल में
क्युओं ना मै काल से
लील जा इनको काल कहूँ
जो निर्दोषों की जाने लेने को
स्वर्ग का द्वार बताते हैं
उनकी नियत तो बस काली है
जाने ले कर वो मनाते
जाने कौन से धर्म की दीवाली हैं
आज फिर कुछ बम फोड़े हैं
उन लोगो ने फिर कूछ जाने ले डाली हैं
2 comments:
bahut achchi chetna ko jaagrat kati kavita.badhaai
ये जेहादी नहीं जल्लादी हैं
...........सत्य कहा कहा आपने कुंदन जी..
बहुत बढ़िया लिखा है.....
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