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Sunday, May 29, 2011

तेरी आँखे


क्या कहूँ तेरी आँखों के बारे मे
जब भी इन्हें देखता हूँ
तो लगता है

इन आँखों मे झील की गहराई है
इन आँखों मोती की सच्चाई है

इन आँखो मे प्रेम का सागर है
इन आखो मे सुधा की गागर हैं


इन आँखों मे एक मधुशाला है
इन आँखों मे प्रेम की एक पाठशाला है
प्रेम को नृत्य से जीवंत कर दे
ऐसी एक रंगशाला है


ये सब है इन आँखों मे
फिर भी जाने क्यों लगता है

इन आँखों मे
एक न मिटने वाली प्यास है
लगता है जैसे इन आँखों को
किसी खास की तलाश है

11 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ... सुन्दर अभिव्यक्ति

(कुंदन) said...

धन्यवाद गीत जी आपका आभार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

इस मखमली रचना का जवाब नही!
आँकों को लेकर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी पोस्ट कल के चर्चा मंच पर भी होगी!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

इन आँखो मे प्रेम का सागर है
इन आखो मे सुधा की गागर हैं

बहुत सुंदर पंक्तियाँ......

Rajesh Kumari said...

charcha manch ke maadhyam se aapke blog ka pata chala.aapki sunder kavita padhne ko mili.really kisi ki aankhon me kabhi kabhi poora brahmaand najar aata hai.mere blog par bhi aapka swagat hai.

संजय भास्‍कर said...

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

संजय भास्‍कर said...

क्या कहूँ तेरी आँखों के बारे मे
जब भी इन्हें देखता हूँ
तो लगता है
...........गजब कि पंक्तियाँ हैं ...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

ये सब है इन आँखों मे
फिर भी जाने क्यों लगता है

इन आँखों मे
एक न मिटने वाली प्यास है
लगता है जैसे इन आँखों को
किसी खास की तलाश है

सुन्दर कविता ... ऐसा ही होता है ... जहाँ तृप्ति होती है वहीँ प्यास भी होती है ...

ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?

Shakuntla said...

अतिसुन्दर

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