क्या कहूँ तेरी आँखों के बारे मे
जब भी इन्हें देखता हूँ
तो लगता है
इन आँखों मे झील की गहराई है
इन आँखों मोती की सच्चाई है
इन आँखो मे प्रेम का सागर है
इन आखो मे सुधा की गागर हैं
इन आँखों मे एक मधुशाला है
इन आँखों मे प्रेम की एक पाठशाला है
प्रेम को नृत्य से जीवंत कर दे
ऐसी एक रंगशाला है
ये सब है इन आँखों मे
फिर भी जाने क्यों लगता है
इन आँखों मे
एक न मिटने वाली प्यास है
लगता है जैसे इन आँखों को
किसी खास की तलाश है
11 comments:
बहुत खूब ... सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद गीत जी आपका आभार
इस मखमली रचना का जवाब नही!
आँकों को लेकर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
आपकी पोस्ट कल के चर्चा मंच पर भी होगी!
इन आँखो मे प्रेम का सागर है
इन आखो मे सुधा की गागर हैं
बहुत सुंदर पंक्तियाँ......
charcha manch ke maadhyam se aapke blog ka pata chala.aapki sunder kavita padhne ko mili.really kisi ki aankhon me kabhi kabhi poora brahmaand najar aata hai.mere blog par bhi aapka swagat hai.
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
क्या कहूँ तेरी आँखों के बारे मे
जब भी इन्हें देखता हूँ
तो लगता है
...........गजब कि पंक्तियाँ हैं ...
ये सब है इन आँखों मे
फिर भी जाने क्यों लगता है
इन आँखों मे
एक न मिटने वाली प्यास है
लगता है जैसे इन आँखों को
किसी खास की तलाश है
सुन्दर कविता ... ऐसा ही होता है ... जहाँ तृप्ति होती है वहीँ प्यास भी होती है ...
ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
अतिसुन्दर
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