यहाँ लिखा एक एक शब्द सच है और मेरी आप बीती हैं
देर शाम को पत्नी व बेटी को राजवाडा पर फ्रूट चाट खिला रहा था तो देखा हर १ मिनट मे अन्ना हजारे जिंदाबाद के नारे लगते हुए लोग निकल रहे थे, पत्नी ने पूँछा "इतने लोग अन्ना के साथ कैसे हों गए हैं"
तभी एक हेड कांस्टेबल स्तर के पुलिस वाले ने एक पपीता उस फ्रूट चाट वाले के ठेले से उठाया और जाने लगा, ठेले वाला बोला साहब ४० रूपये का है, तो पुलिस वाले साहब ने धूर्तता जवाब दिया ४० का ही है न हों गया हिसाब फिर.
ठेले वाले की आँखों मे कातरता थी, पुलिस वाले की आँखों मे निर्लज्जता और मेरी आँखों मे मजबूरी का अपराध बोध और थोड़े से आँसू.
मैने पुलिस वाले साहब की तरफ इशारा करते हुए कहा इस वजह से
अब उन पुलिस वाले साहब ने मुझे देखा, मेरी आँखे भी देखी जिसमे गुस्सा भी था, दर्द भी और आँसू भी.
इस बार उनकी आँखों मे मुझे शर्म दिखी थी. वो वहीँ बैठ कर अपने दो दोस्तों के साथ वो पपीता काट कर खाने लगे और मुझे देख रहे थे, मेरी २ साल की बेटी ने मेरे गालो पर आँसू देखे और अपने रुमाल से उसे पोंछने की कोशिश करने लगी तो वो पुलिस हेड कांस्टेबल फ्रूट चाट वाले से बोले तुझे पैसे देता हूँ.
मेरी आँखे फिर से बह गई, पर इस बार मेरी आँखों मे गर्व था, ठेले वाले की आँखों मे मेरे लिए प्यार तथा सम्मान और पुलिस वाले साहब की आँखों मे अपराधबोध.
ये पहला मौका नहीं है जब मैने किसी पुलिस वाले को उनकी निर्लज्जता के कारण मुह पर धिक्कारा हों लेकिन ये पहला मौका है जब किसी पुलिस वाले को लज्जित होते देखा मैने
कारण जन लोकपाल के समर्थन मे उठी आवाज है, या मेरे आँसू ये तो नहीं जानता लेकिन मुझे जन लोकपाल से एक बल जरूर मिल गया है
देर शाम को पत्नी व बेटी को राजवाडा पर फ्रूट चाट खिला रहा था तो देखा हर १ मिनट मे अन्ना हजारे जिंदाबाद के नारे लगते हुए लोग निकल रहे थे, पत्नी ने पूँछा "इतने लोग अन्ना के साथ कैसे हों गए हैं"
तभी एक हेड कांस्टेबल स्तर के पुलिस वाले ने एक पपीता उस फ्रूट चाट वाले के ठेले से उठाया और जाने लगा, ठेले वाला बोला साहब ४० रूपये का है, तो पुलिस वाले साहब ने धूर्तता जवाब दिया ४० का ही है न हों गया हिसाब फिर.
ठेले वाले की आँखों मे कातरता थी, पुलिस वाले की आँखों मे निर्लज्जता और मेरी आँखों मे मजबूरी का अपराध बोध और थोड़े से आँसू.
मैने पुलिस वाले साहब की तरफ इशारा करते हुए कहा इस वजह से
अब उन पुलिस वाले साहब ने मुझे देखा, मेरी आँखे भी देखी जिसमे गुस्सा भी था, दर्द भी और आँसू भी.
इस बार उनकी आँखों मे मुझे शर्म दिखी थी. वो वहीँ बैठ कर अपने दो दोस्तों के साथ वो पपीता काट कर खाने लगे और मुझे देख रहे थे, मेरी २ साल की बेटी ने मेरे गालो पर आँसू देखे और अपने रुमाल से उसे पोंछने की कोशिश करने लगी तो वो पुलिस हेड कांस्टेबल फ्रूट चाट वाले से बोले तुझे पैसे देता हूँ.
मेरी आँखे फिर से बह गई, पर इस बार मेरी आँखों मे गर्व था, ठेले वाले की आँखों मे मेरे लिए प्यार तथा सम्मान और पुलिस वाले साहब की आँखों मे अपराधबोध.
ये पहला मौका नहीं है जब मैने किसी पुलिस वाले को उनकी निर्लज्जता के कारण मुह पर धिक्कारा हों लेकिन ये पहला मौका है जब किसी पुलिस वाले को लज्जित होते देखा मैने
कारण जन लोकपाल के समर्थन मे उठी आवाज है, या मेरे आँसू ये तो नहीं जानता लेकिन मुझे जन लोकपाल से एक बल जरूर मिल गया है
5 comments:
आज 23 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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कश आँख का पानी सबमें बाकी हो ... अच्छी प्रस्तुति
तुम्हारा कहना और करना सही है मगर आज आत्माये मर चुकी हैं कुन्दन कितने लोग जागते है कह नही सकते।
ठेले वाले की आँखों मे कातरता थी, पुलिस वाले की आँखों मे निर्लज्जता और मेरी आँखों मे मजबूरी का अपराध बोध और थोड़े से आँसू.
मैने पुलिस वाले साहब की तरफ इशारा करते हुए कहा इस वजह से ??
आपकी इन तीन लाइनों ने भ्रष्टाचार का मतलब समझा दिया |
बहुत खूबसूरत पोस्ट |
नमस्कार जी,
अच्छी प्रस्तुति
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