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Tuesday, October 18, 2011

तेरा तकिया मेरे कंधे से बहुत जलता है

तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है
मै सर रख लूं
तो उसका दम निकलता है

मेरे काँधे की शिकायत
बिस्तर से भी करता है
तुझ पर उसका हक
जताने का दम भरता है
खुद की तपिश से
वो ठण्ड मे भी पिघलता है

तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है

3 comments:

Rajesh Kumari said...

bahut khoob.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:) बहुत खूब

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... तकिये की कहानी भी क्या कहती है ... लाजवाब ...

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