तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है
मै सर रख लूं
तो उसका दम निकलता है
मेरे काँधे की शिकायत
बिस्तर से भी करता है
तुझ पर उसका हक
जताने का दम भरता है
खुद की तपिश से
वो ठण्ड मे भी पिघलता है
तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है
मेरे कंधे से बहुत जलता है
मै सर रख लूं
तो उसका दम निकलता है
मेरे काँधे की शिकायत
बिस्तर से भी करता है
तुझ पर उसका हक
जताने का दम भरता है
खुद की तपिश से
वो ठण्ड मे भी पिघलता है
तेरा तकिया,
मेरे कंधे से बहुत जलता है
3 comments:
bahut khoob.
:) बहुत खूब
बहुत खूब ... तकिये की कहानी भी क्या कहती है ... लाजवाब ...
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