अपने भीतर प्यार को समेटे हुए
एक मधुर मनभावन खुशबू को
अपने आलिंगन में लपेटे हुए
आज फिर
मेरे हाथों मे जब आया
तो फिर
उस चहकते चेहरे ने
उस आँखों के जोडे ने
उस अगाध विश्वाश ने
उस प्यार के अहसास ने
उस वादों की वसीयत ने
उस पाने की नियत ने
उस पल के हर सवाल ने
उस पल मचे बवाल ने
मुझे फिर से
दो आंसूं तब रुलाया
जब कागजों का वो छोटा सा पुलिंदा
आज फिर
मेरे हाथों में जब आया
3 comments:
nishabd kar gabd yahan ke....behtareen abhivyakti par badhaai
:')
u r writting very well.....kundan ji
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