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Tuesday, May 17, 2011

देश मे गरीबी और नेता जी की चिंता

कल नेता जी से हमारी मुलाक़ात हो ही गई
ऐसे ही बातों बातों मे महंगाई की बात भी हो ही गई

हम बोले
नेता जी आपने पेट्रोल का दाम फिर बढ़वा दिया
गरीब इंसान पहले ही क्या कम मरा हुआ था
आपने एक और खंजर उसके सीने मे घुसा दिया

नेता जी बोले आप भी अजीब बात करते हैं

इससे गरीबो को क्या फर्क पड़ जायेगा
गरीब इंसान रोटी की चिंता करेगा
या गाड़ी मे कम होते पेट्रोल के गम ए खुद को डुबायेगा

हम बोले
गरीब इंसान भी तो कही नौकरी करने जायेगा
इतने महंगे पेट्रोल से कैसे वो गाडी चलायेगा
और कैसे अपने काम पर पहुँच पायेगा

नेता जी बोले
तुम अजीब बेवकूफ इंसान नजर आते हो
तुम ही बताओ जो इंसान गरीब होगा
अव्वल तो गाडी ही कहा से लाएगा
और जो उसने गाडी कही से पा भी ली
तो उसमे इतना महंगा पेट्रोल कैसे डलवाएगा

नेता जी फिर हमसे बोले
आप तो शक्ल से पढ़े लिखे नजर आते हैं
पर लगता है आप सिर्फ खेल और फ़िल्मी
पन्नों पर ही अपनी नजरे गडाते हैं

हम बोले आप ऐसा क्यों समझते हैं

तो नेता जी बोले
लगता है आपसे भारतीय योजना आयोग की
रिपोर्ट पर कभी ध्यान नहीं दिया गया
क्यों की उस रिपोर्ट मे गरीबी को कुछ शब्दो मे ही
पूर्ण रूप से परिभाषित किया गया

नेता जी बोले

उस रिपोर्ट के अनुसार यदि आप एक दिन मे
१७ रूपये से अधिक खर्च कर जाते हैं
तो इसका मतलब ये है की आप भी देश के
धनकुबेरों मे शामिल होने का अधिकार पाते हैं

हम बोले
इस गणना के अनुसार तो पूरा देश धनी कहलायेगा
आप ही बताइए हमें
कौन होगा इस महगांई मे जो एक दिन मे
१७ रूपये से कम मे अपना जीवन जी पायेगा

और जब देश मे सब धनकुबेरों की श्रेणी मे आते हैं
तो आप ही बताइये आप क्यों
गरीबी उन्मूलन अभियान चलाते हैं
क्यूँ इन अभियानों के नाम पर कई

हजार करोड संसद मे पास करवाते हैं
और आप बताइये कौन से है वो गरीब
जिन पर आप इस धन को खर्च कर पाते हैं

नेता जी बोले
ऐसे व्यक्ति जो दिन मे १७ रूपये से कम मे जीवन चलाते हैं
उनमे नेता, पुलिस और सरकारी अफसर तो आते हैं

और सभी गरीबी उन्मूलन अभियानों का धन
हम ऐसे ही चंद गरीबो पर खर्च करवाते हैं

हम बोले
नेता का सब काम कुछ पैसे वाले चमचो से हो जाता है
पुलिस वाला काम करवाने को वर्दी की धौंस दिखाता है
और सरकारी अफसर जनता के पैसे से मौज उडाता है
और आप को ये तबका गरीब नजर आता है

नेता जी बोले
एक ये ही तबका ऐसा है
जो अपने पैसे तो कभी एक चाय भी नहीं पी पाता है
वर्ना तो एक आम आदमी
सिर्फ चाय पर ही १७ रूपये से ज्यादा खर्च कर जाता है

और भारतीय योजना आयोग के अनुसार तो
जो १७ रुपये से कम खर्च करे वो ही गरीब कहलाता है

हम नेता जी से बोले
ठीक है जो आप हमें गरीब मानने से इनकार करते है
पर आप ही बताइये बढ़ी हुई कीमतों को
और बढ़ा कर क्यूँ आम इंसान पर अत्याचार करते हैं

नेता जी बोले
कीमतों को बढ़ाना हमारी मजबूरी है
क्यूँ की सरकारी खजाने मे भी धन होना बहुत जरूरी है

हम बोले सारा सरकारी खजाना कैसे खाली हो गया

तो नेता जी बोले

क्या आपकी मूर्खता का कोई वारापार नहीं है
सरकारी खजाने का सारा धन
हमने गरीबी उन्मूलन मे ही लगाया है

कभी चारा खिला कर,
कभी स्टाम्प लगा कर
कभी २जि स्पेक्ट्रम से फोन सुना कर
और कभी स्टेडियम बना कर

उस धन से कई
गरीब नेताओं अफसरों की
गरीबी को मिटाया है

अब हमें और भी गरीब नेताओं
की गरीबी को मिटाना है
और उसी लिए पहले
सरकारी खजाने को भरवाना है

और खजाना तो पैसे से ही भर पायेगा
हम नेता तो गरीब ठहरे
अत: ये पैसा तो
धनी जनता की जेबो से ही आएगा

हम बोले ठीक है अब तक आपने
गरीबी को मिटाया है
और देश के गरीबो ने सदा
आप पर विश्वाश दिखाया है

पर अब हमने भी ठाना है
जल्द ही आयेंगे चुनाव
जहा हमें बस एक बटन दबाना है
और कुछ मक्कारों को
उनके किये झूठे वादे याद दिलाना है

4 comments:

Kailash Sharma said...

नेता का सब काम कुछ पैसे वाले चमचो से हो जाता है
पुलिस वाला काम करवाने को वर्दी की धौंस दिखाता है
और सरकारी अफसर जनता के पैसे से मौज उडाता है....

बहुत सार्थक और सटीक व्यंग..बहुत सुन्दर

vandana gupta said...

शानदार व्यंग्य्…………बस और तो कुछ बचता नही है जनता के पास एक ही हथियार है उसका सही उपयोग कर ले तो सभी सुधर जायें।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

यथार्थ की भावभूमि पर अच्छा व्यंग...

(कुंदन) said...

धन्यवाद कैलाश सर, वंदना जी और सुरेन्द्र जी

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