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Friday, September 23, 2011

क्यूँ की वो खुदा हो गए हैं

मेरी आँखों के आंसू जाने कहाँ खो गए हैं
लगता है जैसे दिल के सारे जज्बात सो गए हैं

उनकी बेरुखी इतनी बढ़ी, की ये दिल टूट गया
अब साथ तो हैं उनके, पर हम तन्हा हो गए हैं

एक ही मंजिल चुनी थी,कभी हम दोनों ने
मंजिल तो अब भी वही है, पर रास्ते जुदा हो गए हैं

मोहब्बत कर के खुद को भी लुटा दिया हमने
अब वो भी साथ नहीं क्यूँ वो खुदा हो गए हैं

1 comments:

vandana gupta said...

उनकी बेरुखी इतनी बढ़ी, की ये दिल टूट गया
अब साथ तो हैं उनके, पर हम तन्हा हो गए हैं

कुन्दन बहुत गहरी बात कह दी…………शानदार गज़ल गहरे भावो से सराबोर्।

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