आज क्या लिखू कुछ समझ नहीं पा रहा
सोचा लिखू जिंदगी के बारे में कुछ
फिर देखता हूँ जिंदगी में ढेरो बाते हैं
लेकिन हर बात में एक सवाल है
सोचता हूँ जिंदगी को मै जब
तो लगता है जिंदगी एक अजीब बवाल है
कभी भागता हूँ दूर इस जिंदगी की कश्मकश से
तो कभी लगता है यही जिंदगी एक कमाल है
कभी ढूँढता हूँ मै जब अकेलापन
तो जिंदगी भीड़ में ले जाती है
और जब चाहता हूँ जब भीड़ में चलना
तो खुद मेरी परछाई भी नजर नहीं आती है
कभी कहता हूँ जिंदगी से थोडा ठहर जा
तो जबरन मुझे आगे ले जाती है
और जब चाहता हूँ मै आगे जाना
तो बेवजह एक लंबा ठहराव दे जाती है
कभी मांगता हूँ जिंदगी से एक छोटी सी हंसी की
तो ढेरो आंसू मिल जाते हैं
और जब कभी उम्मीद करता हूँ आंसुओ की
तो हर मोड पर ठहाके लग जाते हैं
सोचता हूँ जिंदगी को तो लगता है ये एक बवाल है
लेकिन शायद जिंदगी का यही सबसे बड़ा कमाल है
सोचा लिखू जिंदगी के बारे में कुछ
फिर देखता हूँ जिंदगी में ढेरो बाते हैं
लेकिन हर बात में एक सवाल है
सोचता हूँ जिंदगी को मै जब
तो लगता है जिंदगी एक अजीब बवाल है
कभी भागता हूँ दूर इस जिंदगी की कश्मकश से
तो कभी लगता है यही जिंदगी एक कमाल है
कभी ढूँढता हूँ मै जब अकेलापन
तो जिंदगी भीड़ में ले जाती है
और जब चाहता हूँ जब भीड़ में चलना
तो खुद मेरी परछाई भी नजर नहीं आती है
कभी कहता हूँ जिंदगी से थोडा ठहर जा
तो जबरन मुझे आगे ले जाती है
और जब चाहता हूँ मै आगे जाना
तो बेवजह एक लंबा ठहराव दे जाती है
कभी मांगता हूँ जिंदगी से एक छोटी सी हंसी की
तो ढेरो आंसू मिल जाते हैं
और जब कभी उम्मीद करता हूँ आंसुओ की
तो हर मोड पर ठहाके लग जाते हैं
सोचता हूँ जिंदगी को तो लगता है ये एक बवाल है
लेकिन शायद जिंदगी का यही सबसे बड़ा कमाल है
3 comments:
कभी मांगता हूँ जिंदगी से एक छोटी सी हंसी की
तो ढेरो आंसू मिल जाते हैं
और जब कभी उम्मीद करता हूँ आंसुओ की
तो हर मोड पर ठहाके लग जाते हैं
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बहुत सुन्दर रचना!
संवेदनशील रचना
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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