वैधानिक चेतावनी :--> कृपया संजीदा हो कर ना पढ़ें, लिखते हुए मै बिलकुल भी संजीदा नहीं था और अगर आपने संजीदा हो कर पढ्ने के बाद सोचा की मुझे थप्पड़ मारें तो आप पर लगने वाली धारा ३०७(हत्या करने की कोशिश) के जिम्मेदार आप ही होंगी :)
किसी से हमने कहा कैसे हैं
वो बोले आपकी दया-दृष्टि है
हम बोले नहीं भाई
हम तो एक पत्नी व्रत धारी है
दया दृष्टि तुम्हारी होंगी
हमारी तो मात्र पत्नी प्यारी है
वो साहब बोले तो क्या हुआ
आप एक पत्नी व्रत धर्म पालो
तथा दो प्रेमिका और बढ़ा लो
हम बोले हम तो एक से ही त्रस्त है
आप दो और टिका रहे हो
हमारी एक घरवाली क्या कम है
जो दया और दृष्टि को भी
हमारी ही बना रहे हो
वो बोले कोई बात नहीं जो आप
दया दृष्टि में अपना दिल नहीं लगाते
श्रद्धा भक्ति भावना भी है राहों में
क्यों नहीं आप उनमे से
किसी एक को अपनाते
हम बोले माफ़ कीजिये जो गलती की
और आपका हाल पूछ बैठे
वो साहब हमसे बोले
ये आप क्या कह रहे हैं
हम बोले ना चाहते हुए भी
आपका अत्याचार सह रहे हैं
वो बोले आप तो बड़े ही
नीरस इंसान नजर आते हैं
हम बोले यूँ तो हम
दया, द्रष्टि, श्रधा, भक्ति, भावना
सब को एक साथ घुमाते हैं
पर क्या है की अब
हम शादी कर चुके हैं
इसलिए ना चाहते हुए
भी शराफत दिखाते हैं
वो साहब फिर बोले गुरु
आप तो बड़े ही ग्यानी हो
हम बोले क्या खूब हो जिंदगी
गर बीवी शराब और प्रेमिका
गर बीवी शराब और प्रेमिका
शराब में मिलाने वाला पानी हो
वो साहब बोले गुरु
जरा इसका मतलब समझाइये
हम बोले जाइये पहले जा कर
एक बोतल शराब ले आइये
वो साहब बोले हमने तो सुना था
के आप पीते ना थे
हम बोले नासमझ है वो सब
जो ऐसा कहते हैं आपसे
सच तो ये है की
बिना पिए हम कभी जीते ना थे
वो साहब फिर बोले
पी कर क्या आप नशे में घर जायेंगे
हम बोले गुरु थोड़ी पियेंगे
उसके बाद ही तो होश में आयेंगे.
2 comments:
हा हा हा बहुत खूब ..बढिया है ।
लेकिन कुंदन भाई कुछ ध्यान दें जैसे
दृष्टि
श्रद्धा
पूछ
आदि शब्दों को इस तरह से सुधार दें ..और निखार आ जाएगा । लिखते रहें शुभकामनाएं
धन्यवाद अजय भैया
अभी सुधार कर दिया है :) आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा तो निखार तो आएगा ही :)
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