तुम कहती हो तुम्हे मुझसे प्यार नहीं है
फिर क्यूँ मेरे दूर जाने पर आंसू बहाती हो
और क्यूँ बिना श्रंगार किये बाहर चली जाती हो
क्यों टकटकी लगाये सडक के उस मोड
को हमेशा इस उम्मीद से निहारा करती हो
की वहाँ से आने वाला अगला चेहरा मेरा होगा
जहा तुमने मुझे आखरी बार देखा था
क्यों रोज इस उम्मीद को दिल में रख
कर तुम घर से बाहर निकलती हो
की आज फिर रास्ते में तुम्हारा हाथ मै वैसे
ही पकड लूँगा जैसे तब पकड लिया था
जब बाजार में तुमने फुलकियां खाते हुए
बड़ी ही बेख्याली में
तश्तरी का बचा हुआ तीखा पानी
मेरी कमीज के साथ साथ मेरी आँखों में भी
उड़ेल दिया था
क्यों आज भी तुम मेरे पास से चुराई कमीज
में उस तीखी महक को महसूस करती हो
और क्यों उसे सूंघ कर आज भी शर्मा जाती हो
क्यों आज भी मेरे द्वारा समर्पित किये गीतों को
रेडियो पर सुन कर झूमने लग जाती हो
क्यों मेरी एक खुशी के लिए
अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हो जाती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे प्यार नहीं है
तो फिर क्यों हर सुबह मेरी सूख चुकी कब्र को
अपने आंसुवो की नमी दे जाती हो
और क्यों हर रात मेरी कब्र के पास
एक दीपक जलाने चली आती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे प्यार नहीं है
फिर क्यों........
फिर क्यूँ मेरे दूर जाने पर आंसू बहाती हो
और क्यूँ बिना श्रंगार किये बाहर चली जाती हो
क्यों टकटकी लगाये सडक के उस मोड
को हमेशा इस उम्मीद से निहारा करती हो
की वहाँ से आने वाला अगला चेहरा मेरा होगा
जहा तुमने मुझे आखरी बार देखा था
क्यों रोज इस उम्मीद को दिल में रख
कर तुम घर से बाहर निकलती हो
की आज फिर रास्ते में तुम्हारा हाथ मै वैसे
ही पकड लूँगा जैसे तब पकड लिया था
जब बाजार में तुमने फुलकियां खाते हुए
बड़ी ही बेख्याली में
तश्तरी का बचा हुआ तीखा पानी
मेरी कमीज के साथ साथ मेरी आँखों में भी
उड़ेल दिया था
क्यों आज भी तुम मेरे पास से चुराई कमीज
में उस तीखी महक को महसूस करती हो
और क्यों उसे सूंघ कर आज भी शर्मा जाती हो
क्यों आज भी मेरे द्वारा समर्पित किये गीतों को
रेडियो पर सुन कर झूमने लग जाती हो
क्यों मेरी एक खुशी के लिए
अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हो जाती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे प्यार नहीं है
तो फिर क्यों हर सुबह मेरी सूख चुकी कब्र को
अपने आंसुवो की नमी दे जाती हो
और क्यों हर रात मेरी कब्र के पास
एक दीपक जलाने चली आती हो
तुम कहती हो तुम्हे मुझसे प्यार नहीं है
फिर क्यों........
10 comments:
वाह ………………बेहतरीन अभिव्यक्ति……………भावभीनी रचना।
फिर क्यों आखिर !!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
abhivyakti ki dhara men sadasayata sunder
prabhav chhodati huyi.dhanyavad ji.
यहाँ तो प्यार करने के सारे सबूत हाजिर हैं फिर कोई कैसे झुठला सकता है.... अच्छी प्रस्तुति बधाई
बहुत खूब.....बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
waah...
bahut hi bhavpoorn ,sundar rachna.
sab baate kah dene ki nahi hoti. sunder abhivyakti.
वाणी जी ,उदय वीर सिंह जी , कैलाश सिंह जी, रचना जी ,सुरेन्द्र सिंह “झंझट” जी ,अनामिका जी .... पसंद करने के लिए आपका आभार
बस आपके प्यार और आशीर्वाद की दरकार हमेशा बनी रहेगी मुझे क्रप्या
वंदना जी आप को कैसे धन्यवाद कहूँ छोटा पड़ेगा वो शब्द ये जो प्यार और स्नेह मिला है उसका जरिया तो आप ही हैं
बेहतरीन रचना ...
क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.
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