मेरे दिल की धड्कन पूँछ रही हैं
कहाँ हो तुम ?
मेरी एकाकी तडपन पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे सपनों की नीद पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे प्यार की उम्मीद पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे गीतों की हर धुन पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरी गजल की तरन्नुम पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरा हर साज, मेरी हर आवाज
मेरा जीने का अहसास, मेरी हर साँस
पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
अब मुझे बता दो तुम
कहाँ हो तुम
अब मुझे गले लगा लो तुम
कहाँ हो तुम .....?
कहाँ हो तुम .....?
1 comments:
इस कविता में प्रेम की अतिशयता से हुए आनंदातिरेक का स्वर सुनाई पड़ रहा है ।
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