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Friday, April 20, 2012

कहाँ हो तुम ?


मेरे दिल की धड्कन पूँछ रही हैं
कहाँ हो तुम ?
मेरी एकाकी तडपन पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे सपनों की नीद पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे प्यार की उम्मीद पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरे गीतों की हर धुन पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
मेरी गजल की तरन्नुम पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?

मेरा हर साज, मेरी हर आवाज
मेरा जीने का अहसास, मेरी हर साँस
पूँछ रही है
कहाँ हो तुम ?
अब मुझे बता दो तुम
कहाँ हो तुम
अब मुझे गले लगा लो तुम
कहाँ हो तुम .....?
कहाँ हो तुम .....?

1 comments:

प्रतुल वशिष्ठ said...

इस कविता में प्रेम की अतिशयता से हुए आनंदातिरेक का स्वर सुनाई पड़ रहा है ।

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