जाने क्या कड़वाहट है सियासत लफ्ज में
एक दोस्त को दोस्त से दुश्मन बना देती है ये
जो साथ बैठ कर चूसते थे गन्ने खेतों में
उनमे ही आपस में कड़वे बोल बुलवा देती है ये
कभी जिन्होंने एक दुसरे को अलग न समझा
उन्ही को हिंदू और मुसलमान बना देती है ये
मजहब सिखाता है अमन चैन से रहना
मजहब के नाम पर नफरत सिखा देती है ये
ईद और दीवाली पर जिन्हें कहते हें भाई हम
उन्ही भाइयों से वोटों के लिए लडवा देती है ये
जाने क्या कड़वाहट है सियासत लफ्ज में
एक दोस्त को दोस्त से दुश्मन बना देती है ये
एक दोस्त को दोस्त से दुश्मन बना देती है ये
जो साथ बैठ कर चूसते थे गन्ने खेतों में
उनमे ही आपस में कड़वे बोल बुलवा देती है ये
कभी जिन्होंने एक दुसरे को अलग न समझा
उन्ही को हिंदू और मुसलमान बना देती है ये
मजहब सिखाता है अमन चैन से रहना
मजहब के नाम पर नफरत सिखा देती है ये
ईद और दीवाली पर जिन्हें कहते हें भाई हम
उन्ही भाइयों से वोटों के लिए लडवा देती है ये
जाने क्या कड़वाहट है सियासत लफ्ज में
एक दोस्त को दोस्त से दुश्मन बना देती है ये
2 comments:
सार्थक विश्लेषण किया है सियासत शब्द का ..
वाह बेहतरीन !!!!
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