आज सुबह जब उठा तो सबसे पहले बाबा और अनुयायियों को खदेड़ने की खबर पढ़ी, और मुह से निकला जलियांवाला कांड करना चाहती है क्या सरकार! सुबह से बड़ा ही व्यथित हूँ और द्रवित भी...
जब दर्द हद से बढ़ गया, आँखों ने आंसुओ को और सहेजने से इनकार कर दिया, भड़ास को दिल ने अपने अंदर रखने असमर्थता दिखा दी और जब सवाल जवाब की व्याकुलता मे तडपने लगे तब उँगलियों ने बहते हुए नमक से शक्ति ले कर दिल की भड़ास को कागज पर उतारने की कोशिश की, जो भी बना वो सामने हैं.
आज फिर से खुद को ठगा सा पाता हूँ
किसे दूं दोष, समझ नहीं पाता हूँ
एक तरफ एक बाबा राजनीती दिखाता है
दूसरी और राजनीतिज्ञ अपनी चाले चलता जाता है
एक पक्ष दुसरे को दोषी बताता है
पर सच क्या है मुझे समझ मे नहीं आता है
बाबा जनता की भावना को भुनाता है
नेता बाबा पर दोष लगा के खुद को दोषमुक्त बताता है
पर जाने क्यों दोनों मे से कोई भी
मेरी ह्रदय वेदना को समझ नहीं पाता है
जब दर्द हद से बढ़ गया, आँखों ने आंसुओ को और सहेजने से इनकार कर दिया, भड़ास को दिल ने अपने अंदर रखने असमर्थता दिखा दी और जब सवाल जवाब की व्याकुलता मे तडपने लगे तब उँगलियों ने बहते हुए नमक से शक्ति ले कर दिल की भड़ास को कागज पर उतारने की कोशिश की, जो भी बना वो सामने हैं.
आज फिर से खुद को ठगा सा पाता हूँ
किसे दूं दोष, समझ नहीं पाता हूँ
एक तरफ एक बाबा राजनीती दिखाता है
दूसरी और राजनीतिज्ञ अपनी चाले चलता जाता है
एक पक्ष दुसरे को दोषी बताता है
पर सच क्या है मुझे समझ मे नहीं आता है
बाबा जनता की भावना को भुनाता है
नेता बाबा पर दोष लगा के खुद को दोषमुक्त बताता है
पर जाने क्यों दोनों मे से कोई भी
मेरी ह्रदय वेदना को समझ नहीं पाता है
इन दोनों की चक्की मे खुद को मै
बहुत टूटा, बिखरा और कुचला हुआ पाता हूँ
दोनों ही पक्ष मेरे विश्वास को ठगते हैं
आज तो दोनों ही पक्ष ठग नजर आते हैं
बहुत टूटा, बिखरा और कुचला हुआ पाता हूँ
दोनों ही पक्ष मेरे विश्वास को ठगते हैं
आज तो दोनों ही पक्ष ठग नजर आते हैं
आज फिर से खुद को ठगा सा पाता हूँ
किसे दूं दोष, समझ नहीं पाता हूँ
किसे दूं दोष, समझ नहीं पाता हूँ
6 comments:
समसामययिक ग़ज़ल बहुत बढ़िया लिखी है आपने!
ठगे तो महसूस कर रहे हैं ..पर जो पुलिस ने किया है ये तो सरकार की बर्बरता है ..
जी हाँ संगीता जी है तो बर्बरता ही सरकार तो पहले ही गलत थी और अभी भी सही नहीं हुई है .... अगर ये करना ही था तो मीडिया उनका है... ताकत उनकी है उन्हें यही काम जनता के बीच जा कर करना चाहिये था और बाबा तो गलत थे ही हमेशा से मेरी नजरो मे
यह सर्कार का बर्बरता पूर्ण व्यवहार निश्चय ही इस बात का प्रमाण है कि सरकार अभी भी अंग्रेजी और तरीकों पर ही चल रही है आपको नहीं लगता है कि ठीक इसी प्रकार अंग्रेजी सरकार भी आंदोलन कारियों के साथ बर्बरता पूर्ण ब्यवहार करके आन्दोलन का दमन किया करती थी ! अंग्रेज चले गये पर हमारा देश आज भी कांग्रेसी अंग्रेजों का गुलाम है हमें इन गद्दारों से भी आपने देश को आजाद कराना होगा !
बहुत बढ़िया
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
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