लोग कहते हैं मै बड़ा हो चूका हूँ पर
माँ मै तो अब भी तेरा वही छोटा बच्चा हूँ
मै आज भी अँधेरे में
तेरे साथ ना होने से डर जाता हूँ
मै आज भी तेरे हाथो से नहीं खाने पर
कभी कभी भूखा ही रह जाता हूँ
मै अब भी दिन भर की थकन से
कभी कभी बिना जूते उतारे ही सो जाता हूँ
मै आज भी कभी कभी लड़ कर के
घर आता हूँ और तुझे नहीं बताता हूँ
माँ मै तो अब भी तेरा वही छोटा बच्चा हूँ
मै आज भी अँधेरे में
तेरे साथ ना होने से डर जाता हूँ
मै आज भी तेरे हाथ से बनी दाल में
५६ भोग से ज्यादा रस पाता हूँ
मै आज भी तेरे आँचल की छाँव में
ब्रहमांड का हर सुख पाता हूँ
मै आज भी तेरी ही गोद में
सबसे ज्यादा चैन की नीद सो पाता हूँ
माँ मै तो अब भी तेरा वही छोटा बच्चा हूँ
मै आज भी अँधेरे में
तेरे साथ ना होने से डर जाता हूँ
मै आज भी तुझ से डाट खाने को
यू ही शैतानी कर जाता हूँ
मै आज भी तुझ से लोरी सुनने को
कभी कभी रातो को जग जाता हूँ
माँ मै तो अब भी तेरा वही छोटा बच्चा हूँ
मै आज भी अँधेरे में
तेरे साथ ना होने से डर जाता हूँ
8 comments:
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ह्रदय की रचना .....आँखें नम कर गयी
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
mohak srijan --
मै आज भी तेरे आँचल की छाँव में
ब्रहमांड का हर सुख पाता हूँ
matchless love of mother .
shukriya ,ji .
माँ मै तो अब भी तेरा वही छोटा बच्चा हूँ
मै आज भी अँधेरे में
तेरे साथ ना होने से डर जाता हूँ
हृदयस्पर्शी..... बहुत सुंदर भाव संजोये आपने.....
माँ को प्रणाम!
मातृदिवस पर बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
--
http://nicenice-nice.blogspot.com/2011/05/blog-post_08.html
आपके स्नेह का लाखो लाख धन्यवाद
आपका स्नेह और प्रेम ही है जो बुरे को भी अच्छा बना देता है और ये तो माँ का स्नेह और प्रेम था तो अच्छा हो गया :) आप सभी का ढेरो धन्यवाद मेरी हौसला अफजाई के लिए और पसंद करने के लिए
मै आज भी तेरे आँचल की छाँव में
ब्रहमांड का हर सुख पाता हूँ
bahut hi sundar ....
dil moh liya aapki kavita ne...
dhanywad...
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