सुबह देखा मोबाइल मे शहीद दिवस का मेसेज आया था
उस मेसेज मे आज के दिन को महान बताया था
मै नहीं जानता
आज के दिन को मै महान बताऊँ
या माओं की उजड़ी कोख
बहनों की सूनी कलाई और
सुहागनों की टूटी चूड़ी
को याद कर के मै आंसू बहाऊँ
वीरों,
तुम्हारे बलिदान को मै व्यर्थ नहीं बतलाता
पर देख कर देश की दशा
मै खुद को रोक भी नहीं पाता
वो स्वप्न आज भी अधूरा ही है
जिसके लिए
तुमने अपने प्राणों की आहूति दी थी
खड़े हों कर करगिल की
ठंडी चोटी पर मौत से आँखे मिला कर
तुमने उसे चुनौती दी थी
वीरों
तुमने तो कारगिल को जीता है
पर नेताओं ने वोटों की खातिर
पूरा कश्मीर हारा है
शर्म आती है मुझे
के पूरी संसद चुप बैठी है
नपुंसको की तरह, सुन कर भी
काश्मीर के मुख्यमंत्री की बात
जो कहता है
हम भारत का हिस्सा नहीं है
ऐसा कहता बटवारा है
वीरों
तुमने सीमाओं पर अपना लहू बहाया था
ताकि देश की माटी ना खून से रंगने पाए
हर बच्चे की आँखों मे अच्छे कल के सपने हों
हर शख्स बेख़ौफ़ हों कर घर से बाहर जाए
पर आज लोग घर से निकलने मे डरते हैं
क्यूंकि हर मोड पर होते धमाके हैं
और उन धमाकों से जलती लाशो पर
नेता अपनी सियासी रोटियां बनाते हैं
वीरों
पुलिस वालों का क्या कहूँ, कहने को तो
वो भी तुम्हारी तरह हम सब के रक्षक हैं,
पर वो बस भक्षक वाला रूप दिखाते हैं
कमजोर पर चलाते डंडे हैं, और गुंडों को
थाने मे बैठा कर चाय पिलाते हैं
तुम ही बताओ ऐसे हालातों मे मै कैसे
डर के साये मे जीवन ना बिताऊँ
और कैसे तुम्हारी शाहदत वाले दिन को
मै दिल से महान बताऊँ
जिस दिन गुंडों के दिल मे पुलिस का डर होगा
ईमानदार इंसान थाने जाने से नहीं घबराएगा
जब नेता लाशो पर रोटियां नहीं सेंकेंगे
आतंक के विरुद्ध हर दल एक हों जाएगा
शायद उस दिन मेरा मन
शहीद दिवस को महान दिवस बता पाएगा
और मेरा मन बस आज के दिन को
शहीद दिवस मानने से इंकार कर देता है
क्यूंकि तुम ही हों जिनके बलिदान से
देश का हर वासी रोज आजाद हवा मे साँस लेता है
ये सिर्फ कहता है
देश का हर दिन सिर्फ तुम्हारा है
तुम सदा अमर रहो, यही कहना हमारा है
1 comments:
आज करगिल शहीद दिवस पर बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है आपने!
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