मैंने तुम से इश्क किया था,
और तुमने सिर्फ मुहब्बत की थी,
तुम्हारी मुहब्बत में तो
सिर्फ देने की चाहत थी
और खोने का कोई डर नहीं था |
मेरे इश्क में पाने की हवस थी
और खोने का डर भी होता था |
बिन तुम्हारे कैसे होंगे हालात
जहन में उसका मंजर भी होता था |
पर अब नहीं,
अब दिल में कोई डर नहीं है,
कोई वहशत नहीं है,
अब इश्क भी नहीं है,
हाँ बेपनाह मुहब्बत जरूर है |
वही मुहब्बत जो तुमने मुझ से की थी
और फिर मुझे दी थी |
लोग यहाँ सवाल ये भी कर सकते हैं
की मुहब्बत और इश्क में अंतर क्या है ?
मै ना ही उनको समझाने वाला हूँ
ना ही उनको कुछ बताने वाला हूँ |
मुझे बस तुम्हे बताना था
तुम तो समझ गई होगी,
बस उतना काफी है |
और नहीं समझी तो आगे कुछ कहने का फायदा भी क्या है